देश को नई दिशा दिखाने का कार्य करेंगे नए कानून, सीएम धामी ने उत्तराखंड में किया औपचारिक शुभारंभ

देहरादून 1 जुलाई। देशभर में 1 जुलाई सोमवार से लागू अपराधिक नए कानून का औपचारिक शुभारंभ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नए कानून देश को नई दिशा दिखाने का कार्य करेंगे।
सोमवार को पुलिस मुख्यालय देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय न्याय व्यवस्था में लागू हुए नए अपराधिक कानून -भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 तीन नए कानूनों पर आधारित I.O एप्लीकेशन का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुभारंभ करते हुए विवेचक पुलिसकर्मियों को टैबलेट वितरित किए। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने भारतीय न्याय व्यवस्था में तीन नए कानून के लागू होने पर कहा कि आज भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक दिन है। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे विभिन्न पुराने और गैरजरूरी कानूनों को हटाकर वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नए कानून न्याय की अवधारणा को मजबूत करेंगे और न्याय मिलने की प्रक्रिया को अधिक सरल और सुलभ बनाने में पुलिस और न्यायालयों की वृहद स्तर पर मदद करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुशासन, निष्पक्षता और न्याय हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है। ये तीनों कानून देश के हर नागरिक की स्वतंत्रता, मानव अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार को सुनिश्चित करेंगे। ये कानून गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए कानूनों में ई- एफ.आई.आर की सुविधा शुरू की गई है। अब न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा। नए कानूनों में टेक्नोलॉजी के प्रयोग और फॉरेंसिंक विज्ञान को बढ़ावा दिया गया है। नई न्याय प्रणाली सभी को पारदर्शी और त्वरित न्याय देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने का कार्य करेगी।
नए कानूनों में ऑनलाइन व्यवस्था पर भी बल दिया गया है। नए कानूनों में सबकुछ स्पष्ठता और सरलीकरण के साथ समाहित किया गया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हमारे कानून आतंकवाद, संगठित अपराधों और आर्थिक अपराधों को पूरी तरह परिभाषित करेंगे। नए कानूनों में मॉब लिंचिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, भगोड़ों की गैरमौजूदगी में भी मुकदमा चलाने के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। साथ ही बहुत छोटे अपराधों के लिये सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत एक क्रांतिकारी कदम है।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जनपदों से अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने भी तीन नए कानूनों पर विस्तार से जानकारी दी।
मौके पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगौली, सचिव गृह दिलीप जावलकर, निदेशक अभियोजन डॉ पीवीके प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक डा. वी मुरुगेशन, अमित सिन्हा, अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था एपी अंशुमन, आईजी स्तर के अधिकारियों के अलावा वर्चुअल माध्यम से विभिन्न जिलों के एसएसपी, एसपी अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।

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